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Green Dipawli के बाद भी दमघोंटू हवा में जागी Delhi AQI पहुंचा 350 |
दीवाली की रंग-बिरंगी रात के बाद दिल्ली मंगलवार सुबह फिर एक बार धुंध और धुएं की चादर में लिपटी नजर आई। हालांकि इस बार ‘ग्रीन पटाखों’ की अनुमति दी गई थी, लेकिन त्योहारी धूमधाम के बाद हवा में ज़हर घुल चुका था। SAFAR (सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च) के मुताबिक, सुबह 8 बजे दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 350 दर्ज किया गया, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है। सुबह 6:30 बजे AQI 359 था। क्या ग्रीन पटाखों से कोई फर्क पड़ा? इस साल सुप्रीम कोर्ट ने उद्योग और स्वास्थ्य के बीच संतुलन बनाते हुए केवल 'ग्रीन पटाखों' की अनुमति दी थी। दावा था कि ये 30% कम प्रदूषण करते हैं। लेकिन आंकड़े यही पुराना किस्सा दोहराते नजर आ रहे हैं—दिल्ली की हवा फिर जहरीली हो गई है। हर साल की वही कहानी हर दीवाली के बाद दिल्ली की हवा बिगड़ती है। चाहे प्रतिबंध हों या ग्रीन पटाखों की इजाज़त—प्रदूषण पर लगाम नहीं लग पा रही। 2025 (इस साल): आनंद विहार स्टेशन पर AQI 360 दर्ज हुआ। 2024: AQI 396, 'गंभीर' के करीब। 2023: AQI 312, 'बहुत खराब' श्रेणी में। 2022: AQI 356। 2021: प्रतिबंधों के बावजूद पटाखों की धूम और AQI 454 (गंभीर श्रेणी)। आनंद विहार, जो कि दिल्ली के सबसे प्रदूषित इलाकों में से एक है, हर साल की तरह इस बार भी प्रदूषण का हॉटस्पॉट बना रहा। पर्यावरण कार्यकर्ता बोले: "कम ज़हर भी ज़हर ही है" पिछले 30 वर्षों से साफ हवा के लिए संघर्ष कर रहीं पर्यावरण कार्यकर्ता भवरीन कंधारी ने ग्रीन पटाखों के प्रभाव पर सवाल उठाए। “अगर कोई कहे कि इसमें 30% कम ज़हर है, तो क्या आप अपने बच्चों को कम ज़हर खिलाना चाहेंगे? यह सिर्फ कम प्रदूषण नहीं, बल्कि कम ज़हर है। मैं अपने बच्चों को साफ हवा देने के लिए लड़ती रही, लेकिन फिर भी उन्हें बीमार फेफड़े ही दे पाई,” उन्होंने कहा। GRAP-2 के तहत सख्ती, फिर भी कोई असर नहीं दीवाली से ठीक एक दिन पहले दिल्ली में ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के दूसरे चरण के तहत कई पाबंदियां लागू की गई थीं: कोयला और लकड़ी के जलाने पर रोक डीज़ल जेनरेटर के उपयोग पर प्रतिबंध सड़कों पर झाड़ू और पानी का छिड़काव ट्रैफिक जाम कम करने की कोशिशें लेकिन इन उपायों का असर दीवाली की रात पटाखों की आवाज़ और धुएं में कहीं खो गया। दिल्ली की हवा: दीवाली नहीं, सिस्टम की देन सच्चाई यह है कि दिल्ली की हवा सिर्फ पटाखों से खराब नहीं होती। पराली जलाना, गाड़ियों से निकला धुआं और निर्माण कार्य—ये सब मिलकर हर साल नवंबर में शहर को गैस चैंबर बना देते हैं। दीवाली की रात जैसे इसमें एक और आग लगा देती है। अब आगे क्या? हर साल हम यही सोचते हैं कि क्या इस बार कुछ बेहतर होगा? लेकिन आंकड़े और अनुभव यही बताते हैं—जब तक सख्त पालन और जनजागरूकता नहीं होगी, तब तक दिल्ली हर दीवाली के बाद दम घोंटती रहेगी।
HINDI NEWS
Shekh Md Hamid
10/21/20251 min read
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